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परमेश्वर का इच्छा मनुष्यों के लिए

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सारे मानव जाति के लिए परमेश्वर का इच्छा इसलिये हे भाइयो, मैं तुम से परमेश्वर की दया स्मरण दिला कर बिनती करता हूं, कि अपने शरीरों को जीवित, और पवित्र, और परमेश्वर को भावता हुआ बलिदान करके चढ़ाओ: यही तुम्हारी आत्मिक सेवा है। 2 और इस संसार के सदृश न बनो; परन्तु तुम्हारी बुद्धि के नए हो जाने से तुम्हारा चाल-चलन भी बदलता जाए, जिस से तुम परमेश्वर की भली, और भावती, और सिद्ध इच्छा अनुभव से मालूम करते रहो। रोमियों 12: 1-2 का लक्ष्य है कि सम्पूर्ण जीवन ‘‘आत्मिक आराधना’’ बन जावे। पद 1: ‘‘अपने शरीरों को जीवित, और पवित्र, और परमेश्वर को भावता हुआ बलिदान करके चढ़ाओ: यही तुम्हारी आत्मिक सेवा (सही अनुवाद- आराधना) है। परमेश्वर की दृष्टि में सभी मानव जिन्दगियों का लक्ष्य ये है कि मसीह को उतना ही मूल्यवान् दिखाया जावे जितना कि ‘वह’ है। आराधना का अर्थ है, हमारे मन और हृदयों और शरीरों को, परमेश्वर के मूल्य को, और जो कुछ ‘वह’ यीशु में हमारे लिए है, अभिव्यक्त करने के लिए उपयोग करना। जीने का एक तरीका है — प्रेम करने का एक तरीका — जो यह करता है। आपकी नौकरी/धंधे को करने का एक तरीका है जो परमेश्वर के सच्