फाशः का पर्व


Best Life

फसह का पर्व और प्रभु भोज


  1. दासत्व से याजक, रक्षक औरप्रबंधक  मिस्र देश में 400 साल के दासत्व के बाद, इसरायली वहाँ से निकल पड़े उस रात को जब इस्त्रायली घराने के अगुवे ने मेमने को बलिदान किया वह अपने परिवार का याजक बन गया जब मेमने के लोहू को दरवाज़े के चौखट पर छिड़का, तब वह रक्षक बन गया, और जब परिवार ने उस मेमने को पका कर खाया, वहप्रबंधक बन गया  (निर्गमन 12:7-12; 1 तीमोथी 5:8)
  2. फसह की थाली: प्रभुजी ने फसह के पर्ब में यहूदी परंपरानुसार एक घर में कड़वा  साग, (दासत्व की निशानी) अखमीरी (खमीर= भ्रष्टाचार की निशानी) रोटी,  और  भुना गोश्त खिलाया (मत्ती 16:11,12)
  3. टूटा हुआ देह:  प्रभुजी ने मातज़ाह (अखमीरी रोटी जिसमे बहुत से छेद होते हैं जो मसीह के ज़ख़्मी शरीर को दर्शाता है) और कहा,” इसे लो और खाओ, यह मेरी देह है जो तुम्हारे लिए तोड़ा गया है; मेरी याद में यह किया करो” (1कुरिन्थियों 11:24)
  4. तीन रोटियां:  मसीही यहूदी तीन रोटियों को अलग अलग कपड़े में लपेट देतें है ( यह पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा को दर्शाते हैं) लेकिन केवल बीच वाली रोटी (बेटे) को तोड़ते हैं|उसमे से आधी रोटी खाते है और आधी रोटी को पिता छिपा देता हैं बाद में परिवार उस आधी रोटी को ढूंड कर खाते हैं इस रोटी को ‘अफिकोमेन’कहते हैं यह दर्शाता है कि येशुआ 3दिन और 3 रात कब्र में छुप गए थेयहुदियों के लिए अफिकोमेन  का मतलब “मै आने वाला हूँ” और मसीहों के लिये “मै आया“
  5.  प्रभुजी ने दाखरस के चार प्याले परोसा जो निर्गमन 6:6,7 पर आधारित है: “मै यहोवा हूँ। मैं तुम्हारी रक्षा करूँगा और मिस्रियों के दासत्व सेस्वतन्त्र करूँगा। मैं अपनी महान शक्तिसे मिस्रियों को भयंकर दण्ड देकर तुम्हे बचाऊँगा। तुम मेरे लोग होगे और मैंतुम्हारा परमेश्वर होऊॅंगा।

  6.   पहिला पवित्रीकरण का प्याला है:  क्योंकि परमेश्वर ने इस्त्रायल से वापस रिश्ते जोड़ कर लोगों को पवित्र कर दिया. “मैं तुम्हारा परमेश्वर हूँ
  7. दूसरा प्याला छुटकारा का कटोराकहलाता है क्योंकि परमेश्वर ने इज़राएल को महान कार्यों से मिस्र के दासत्व से छुड़ाया इसे परमेश्वर के क्रोध का कटोरा भी कहते हैं क्योंकि परमेश्वर ने अपने क्रोध को मिस्रियों पर उंडेला था प्रभु येशु ने संसार के पापों को उठा कर क्रूस पर ले गए और परमेश्वर के क्रोध को सहा. यहूदी इस कटोरे को नहीं पीते हैं, लेकिन अपनी ऊँगली उसमे डुबा कर हर विपत्ति का नाम लेकर उसे एक कपड़े पर छिड़क देते हैं। विपत्तियों के नाम ये हैं: लहू, मेंडक, जूई, मक्खी, जानवर, फोड़े, ओले, टिड्डे, घोर अंधकार और पहिलोटे की मृत्यु, याने उनके सारे इष्ट देवताओं को ध्वस्त कर दिया। (यशायाह 53:1-12; रोमियो 5:9)
  8. तीसरा उद्धार का कटोरा हैं क्योंकि परमेश्वर ने कहा, “मैं तुम्हें अपनी भुजा बढ़ा कर छुड़ाउँगा” प्रभुजी ने क्रूस पर अपनी भुजा फैला कर अपने लोहू से हमे पाप के दासत्व से छुड़ाया मसीही, प्रभुभोज में केवल तीसरे कटोरे को पीतें हैं प्रभु ने कहा, “यह कटोरा मेरे लोहू में नई वाचा है; जब कभी पियो तो मेरे स्मरण के लिए ये ही किया करो(1कुरिन्थियों 11:25).
  9. मूसा की पुरानी वाचा (बेरिथ=बलिदान), पत्थरों पर लिखी गयी थी उस समय पाप से छुटकारा जानवरों के लहू और शरीर के बलिदान के द्वारा मिलती थी. (निर्गमन 29: 42;2 इतिहास 7:12; इब्रानी 13:11-13.)
  10. नई वाचा (बेरिथ=बलिदान) में परमेश्वर के वायदे के अनुसार प्रभु अपनी वाचा हमारे ह्रदय और मन में लिखता है “यहोवा की यह वाणी है,सुन, ऐसे दिन आनेवाले हैं जब मैं नईवाचा उनके मन में और उसे उनकेहृदय पर लिखूंगा; और मैं उनकापरमेश्वर होऊंगा और वे मेरी प्रजाठहरेंगे।“ (येर्मिया 31:31-34; रोमियों13:8,10).
  11. प्रभु की ब्यारी (भोजन) दो लोंगों के बीच में एक वाचा (बेरिथ=बलिदान) का भोज है प्रभु एक मेमने के समान अपनी देह और लोहू हमे देता है और हम उसके मृत्यु की घोषणा करने की शपथ लेतें हैं “क्योंकि जब कभी तुम ये रोटी खाते और इस कटोरे में से पीते हो, तो प्रभु की मृत्यु को जब तक वह न आये प्रचार करते रहो (1कुरिन्थियों 11:26).
  12. पौलुस की चेतावनी : हम प्रभु भोज को किस तरह से अनुचित रीति से लेतें हैं :
  13. अपना भोजन दूसरों के साथ नहीं बाँटना:  गरीब, नए बिश्वसियों और खोजियों के साथ गृह कलीसिया में जब हम रोटी तोड़ते हैं तो अपना भोजन बांटकर नहीं खाते तो अनुचित रीति से प्रभुभोज लेते हैं (1कुरिन्थियों11:20-23,33,34; प्रेरित 2:46-47)
  14. पासबान और सभा की बीचअलगाव होने से प्रभु भोज का लेना अनुचित रीति से हो जाता है प्रभुजी के क्रूस पर मृत्यु होते ही मंदिर के अंदर का पर्दा उपर से नीचे तक फट गया, और परमेश्वर और आम आदमी के बीच की दीवार ख़त्म हो गयी इसलिए अब पेशेवर पुरोहित की ज़रूरत नहीं है क्योंकि प्रभुजी ने लोहू से खरीदकर सारी कलीसिया को राजपदधारी याजकों का समाज बना दिया है अब प्रभुजी ने दरवाज़ा खोल दिया ताकि सभी विश्वासी राजपदधारी याजक के हैसियत से एक बराबर होकर एक दूसरे से प्रेम, एक दूसरे की सेवा, एक दूसरे के लिए प्रार्थना करना, प्रोत्साहन देना, क्षमा करना और एक दूसरे का भला करने की सेवकाई खुद कर सकते हैंइसलिए प्रभु भोज के समय चोगाधारी पास्टर एक तरफ और घेरे के दूसरे तरफ आम बिश्वासी का होना सरासर गलत है (1पतरस 2:9; युहन्ना13:34,35; इफीसियों 2:13-15;4:32; गलाती 5:13; 1 थेस्सलोनिकों5:15).
  15. परमेश्वर की आज्ञाओं के अनाज्ञाकारी होना: इज़राएल ने खड़े होकर फसह के पर्व  को कमर कसकर, पैर में जूते बांध कर, अपने घरों में खाया, और फिर मिस्र देश से परमेश्वर के आज्ञानुसार, निकल पड़े. प्रभुजी ने प्रभु भोज के पशचात, पिता के आज्ञानुसार क्रूस की मृत्यु सहने के लिए निकल पड़े प्रभुजी ने हमे अपनी सबसे मुख्य और आखिरी आज्ञा दी,“जाओ, शिष्य बनाओ, और उन्हें आज्ञा मानना सिखाओ उन्होंने ने कहा कि, “यदि तुम मुझ से प्रेम रखते हो तो मेरी आज्ञाओं का पालन करोगे” इस आज्ञा का उल्लंघन करने से प्रभु भोज लेना अनुचित हो जाता है(निर्गमन 12:11; मत्ती 28:19-20;युहन्ना 14:15)
  16. पैर न धोना :   भोजन (बियारी) के पश्चात, प्रभुजी उठे और अपने शिष्यों के पैर धोये और कहा, “यदि मैं प्रभु और गुरु होकर तुम्हारे पैर धोए, तो तुम्हें भी एक दूसरे के पैर धोना चाहिए एक गुरु अपने शिष्यों के पैर धोकर ऐसा नमूना दिखाया जो नम्रता का बहुत बड़ा उदाहरण हैं सही में प्रभुजी ने शिष्यों के पैरों का अभिषेक किया ताकि वह आज्ञा दे कि, “जैसे पिता ने मुझे भेजा है, वैसे में तुम्हे भेज रहा हूँ” संत पौलुस भी कहते हैं, क्या ही सुंदर हैं वो पैर जो शांति का सुसमाचार सुनाते हैं” प्रभु यीशु का अनुकरण कर के नए विश्वासियों के पैर धोकर उनकों मसीह की देह (कलीसिया) में सम्मलित करके उन्हें गवाही देने के लिए नहीं भेजना, प्रभुभोज का अनुचित तरीके से लेना है (युहन्ना 13:13-15; 20:21; रोमियों 10:15)
  17. चौथा कटोरा - प्रशंसा का कटोरा है: क्योंकि परमेश्वर ने कहाँ “मैं तुम्हें अपनी प्रजा बनाने के लिए अपना लूँगा (निर्गमन 6:6,7. प्रकाशित5:10)
  18. प्रभुजी ने चौथा कटोरा पीने से इंकार कर दिया क्योंकि उस समय तक सलीब पर मृत्युं नहीं सहा थाउन्होंने कहाँ कि वह इस कटोरे को नए राज्य में पियेंगे जहाँ पर यह कटोराअनंतकाल के वाचा का कटोरा कहलायेगा, क्योंकि उस उत्सव के दिन, हर जाति, कुल, गोत्र, और भाषा के एक विशाल भीड़ में अपने लहू से ख़रीदे हुए पवित्र लोगों के साथ मिलकर प्रीतिभोज की संगती करेंगे(लूका 22:18; मत्ती 26:29; उत्पत्ति17:7; गलाती 3:27-29; प्रकाशित वाक्य 5:9,10; 19:9)
  19. शीघ्र ही संसार के सारे राज्य हमारे परमेश्वर के राज्य हो जायेंगे:  यह तब ही संभव होगा जब, “यह राज्य का सुसमाचार सारे संसार में प्रचारा जायेगा और फिर अंत आयेगाइसको पूरा होने के लिए हर विश्वासी को प्रभु भोज के संदेश को न केवल समझना है परन्तु अपने जीवन और अपनी कलीसिया में लागू करना है(मत्ती 24:14; प्रकाशित 11:15).

  20. best Life
  21. pr.surendra bandhav
  22. Email: surendrabandhav025@gmail.com
  23. mo 8839133615

Comments

Gaer


Comments

Popular posts from this blog

Good Friday

परमेश्वर का इच्छा मनुष्यों के लिए